मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना बनी गले की फांस, लाभांवित नहीं भर रहे किस्तें, NPA 1500 करोड़ के पार| CM Awas Yojana
CM Awas Yojana :मध्य प्रदेश सरकार के साथ राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना का मुद्दा उठा। इसमें एसएलबीसी ने योजना के तहत जारी ऋण की किश्तें नहीं भरने का मुद्दा उठाया। इस पर मुख्यमंत्री ने बैंकों से प्रस्ताव मांगा है।
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मध्य प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पक्का घर बनाने की मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना सरकार के लिए गले की फांस बनती जा रही है। योजना का लाभ लेने वाले लाभार्थी बैंक की किस्तें ही जमा नहीं कर रहे हैं। इससे वर्ष 2024 में योजना का नॉन परफार्मिंग असेट (एनपीए) बढ़कर करीब 54 प्रतिशत पहुंच गया है। इसको लेकर अब बैंकों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से बैंकों का बकाया वसूलने का कदम उठाने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने मामले में बैकों से ही प्रस्ताव मांगा है। CM Awas Yojana
सरकार के एमओयू से बंधे बैंक
योजना के तहत लाभार्थियों को कम ब्याज पर पक्का मकान बनाने के लिए बैंकों की तरफ से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए सरकार और बैंकों के बीच एमओयू हुआ है। बैंकों की तरफ से प्रयास करने के बावजूद बकायेदार अपनी किश्तें नहीं चुका रहे हैं। इन खातों का एकमुश्त समाधान योजना के माध्यम से भी बैंक निपटान नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण एमओयू की शर्तें बैंकों को रोक रही हैं।
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मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में वर्ष 2024 में एनपीए 1535 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह योजना के तहत बैंकों की तरफ से आवास बनाने के लिए जारी राशि का करीब 54 प्रतिशत पहुंच गया है। इस मुद्दे को हाल ही में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने रखा। समिति की तरफ से बताया गया कि 3 लाख 9 हजार 831 लाभार्थी मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत लिए गए ऋण की किश्तों को जमा नहीं कर रहे हैं। इनकी लगातार तीन से ज्यादा किश्तें पेंडिंग हो चुकी हैं। इसके बाद करीब 1535 करोड़ रुपये एनपीए में चला गया है। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संबंधित बैंकों को ही बकाया राशि के समाधान के लिए प्रस्ताव देने को कहा है। CM Awas Yojana
सरकार के एमओयू से बंधे बैंक
CM Awas Yojana योजना के तहत लाभार्थियों को कम ब्याज पर पक्का मकान बनाने के लिए बैंकों की तरफ से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए सरकार और बैंकों के बीच एमओयू हुआ है। बैंकों की तरफ से प्रयास करने के बावजूद बकायेदार अपनी किश्तें नहीं चुका रहे हैं। इन खातों का एकमुश्त समाधान योजना के माध्यम से भी बैंक निपटान नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण एमओयू की शर्तें बैंकों को रोक रही हैं।