फूलों की खेती व्यवसाय योजना
फूलों की खेती की जानकारी
फूलों की खेती (Floriculture) एक लाभदायक व्यवसाय है, जिसमें आप विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। यह खेती घरेलू और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए की जाती है। Floriculture
फूलों की खेती कब करनी चाहिए?
फूलों की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त समय सितंबर से मार्च तक है, लेकिन अक्तूबर से फरवरी का समय इस व्यवसाय के लिए वरदान है। फूलों की लगभग सभी प्रजातियों की बुवाई सितंबर-अक्तूबर में की जाती है।
फूलों की शुरुआत कैसे करें?
शुरुआती फूलों के बगीचे के लिए सही स्थान का चयन
ज़्यादातर पौधों को बढ़ने के लिए पूरी धूप की ज़रूरत होती है, इसलिए ऐसा क्षेत्र चुनें जहाँ रोज़ाना छह या उससे ज़्यादा घंटे धूप मिलती हो। पूरे दिन अपने यार्ड का निरीक्षण करें और पता लगाएँ कि किस जगह पर पूरी धूप मिलती है और किस जगह पर आंशिक या पूरी छाया।
फूलों की खेती में कितना मुनाफा होता है?
इस फसल के बारे में खास बात तो यह है कि इसकी खेती कम जगह पर भी आसानी से की जा सकती है. यदि, आपके पास एक हेक्टेयर भी जमीन है तो आप इसकी खेती कर हर साल करीब 15 लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं.
हिमाचल प्रदेश राज्य में कृषि जलवायु विद्यमान परिस्थितियों के अनुसार फूलों की खेती के विकास के लिए अनुकूल है। जिससे फूलों को ऑफ सीजन में घरेलू बाजार में और निर्यात के लिए भेजा जा सकता है। फूलों की खेती करने वाले उत्पाद( कट फ्लावर, बल्ब, बीज, जीवित पौधें, आदि) का उत्पादन एक बड़ी किस्म के रूप में किया जा सकता है।
फूलों के बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको 1000-1500 वर्ग फुट जगह की जरूरत पड़ेगी। इसके बाद फूलों को हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए फ्रिज की भी जरूरत पड़ेगी। फूलों की पैकिंग, डिलीवरी के लिए लोगों की जरूरत पड़ सकती है। इसमें किसानों से फूल खरीदने के लिए भी एक लोगों की जरूरत पड़ सकती है।
फूलों की खेती के लिए आवश्यकताएँ:
- मिट्टी और जलवायु:
- फूलों की खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है।
- अच्छी जल निकासी और 6-7 pH वाली मिट्टी बेहतर रहती है।
- जलवायु का चुनाव फूल की प्रजाति पर निर्भर करता है, जैसे गुलाब, गेंदा और चमेली आदि।
- फूलों की प्रजातियाँ:
- गुलाब (Rose): सजावट और इत्र के लिए उपयोगी।
- गेंदा (Marigold): पूजा और त्योहारों में उच्च मांग।
- चमेली (Jasmine): इत्र और औषधीय उपयोग।
- ग्लैडियोलस (Gladiolus): सजावटी पौधा।
- लिली (Lily) और ट्यूलिप (Tulip): उच्च मूल्य के फूल।
- सिंचाई और खाद:
- ड्रिप इरिगेशन पद्धति सर्वोत्तम है।
- जैविक खाद और उर्वरक का उपयोग करें।
- समय-समय पर मिट्टी की जाँच करें।
- खेती की प्रक्रिया:
- भूमि की जुताई और बुवाई करें।
- पौधों के बीच उचित दूरी रखें।
- कीट और बीमारियों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
- मूल्यवर्धन:
- फूलों को बेचने के लिए स्थानीय मंडियों, फूलों के बाजारों और होलसेल व्यापारियों से संपर्क करें।
- प्रोसेसिंग जैसे गुलदस्ते, माला और इत्र के लिए भी बेच सकते हैं।
आर्थिक लाभ:
- फूलों की मांग पूरे साल बनी रहती है, खासकर त्योहारों, शादी-विवाह और अन्य आयोजनों में।
- प्रति एकड़ फूलों की खेती से ₹3-5 लाख तक की कमाई हो सकती है, जिसमें लागत घटाकर शुद्ध लाभ मिलता है।
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